शादी के लिए यदि ऐसी लड़की देख रहे हैं, तो सावधान, ये हो रहा है पढ़े-लिखे समाज में, दंग कर देगी ये हकीकत..!

लड़की कैसी लगी बेटा? बहुत अच्छी मां...! अक्सर शादी के लिए लड़की देखने गए बेटे से मां का पहला सवाल यही  होता है कि लड़की कैसी थी? मगर इस सवाल में कैसी का संबंध उसके बाहरी रूप, चेहरे से होता है और जवाब में  अच्छी का ताल्लुक़ भी बस सुंदरता से ही होता है। हां, इस मामले में कुछ अपवाद होना अलग बात हो सकती है , जिसकी कल्‍पना हम पढ़े-लिखे समाज से कर सकते हैं। लेकिन, यह भी फिलहाल तो अपवाद की तरह ही है।



हद तो  ये है कि आज के पढ़े-लिखे और ख़ुद को मॉर्डन कहने वाले ऐसे युवा हैं, जो ये कहते हैं कि उनके लिए स़िर्फ बाहरी  सुंदरता मायने नहीं रखती, अपनी शादी की बात आते ही पलट जाते हैं। ख़ुद मैंने ही अपने आसपास ही ऐसे कई  लोगों को देखा है, जिन्होंने उच्च शिक्षित और अच्छी पोस्ट पर काम करने वाली लड़की को स़िर्फ इसलिए रिजेक्ट  कर दिया क्योंकि वो उनके 'अच्छी' वाले पैमाने में फिट नहीं बैठ रही थी। कभी सांवला रंग, कभी नयन नक्‍श, तो  कभी लंबाई, तो कभी मोटी कमर...और भी बहुत कुछ ऐसी चीजें जो कथ्‍ाित रूप से उनके 'अच्छी'में फिट होती हो।


ऐसे ही मेरे पड़ोस में रहने वाले एक जनाब वैसे तो डॉक्टर हैं, मगर उनके विचार किसी देहाती से बिल्कुल कम नहीं। जब  शादी की बात आई, तो जनाब ने कई पढ़ी-लिखी लड़कियों के रिश्ते रिजेक्ट कर दिए क्योंकि वो सुंदर नहीं दिखती  थी, और हमेशा कॅरियर ओरिएंटेड पत्नी की तलाश में रहने वाले डॉक्टर साहब ने एक दसवीं पास लड़की से शादी के  लिए हामी भर दी क्यों? क्योंकि उसका गोरा बदन और हसीन चेहरा डॉक्टर साहब के दिल में उतर गया। लोगों का  इलाज करने वाले डॉक्‍टर साहब उसकी कातिल अदाओं से घायल हो गए। इसमें भला उनका क्या कसूर? ख़ूबसूरती पर फिदा होना तो मर्दों की फितरत होती है।



ख़ैर, ये बात और है कि जनाब डॉक्टर की शादी ज़्यादा दिन टिकी नहीं। बीवी की सुंदरता का ख़ुमार उन पर से जल्दी ही उतरने लगा, जब कहीं पत्नी के साथ बाहर/पार्टी में जाते, तो पढ़े-लिखे लोगों में उसके बैठने-उठने का तौर  तरीका, व्यवहार और गैर जरूरी झेंप, उन्हें शर्मिंदा कर देती।  जल्द ही उन्हें समझ आ गया कि स़िर्फ सुंदरता के सहारे ज़िंदगी नहीं बीतती। हमारे आसपास ऐसे ढेरों उदाहरण हैं,  मगर बावजूद इसके सुंदरता को लेकर हमारी मानसिकता नहीं बदलती।


एक और घटना याद आती है। हमारे पड़ोसी मिस्टर शर्मा 4 साल से बेटे की शादी के लिए परेशान थे, ये  बात अजीब लग सकती है, वरना आज तक तो स़िर्फ लड़कियों की शादी के लिए ही परेशान हुआ जाता था, मगर अब हालात बदल रहे हैं। शर्मा जी के बेटे के लिए पचासों रिश्ते आए। एक से एक पढ़ी-लिखी लड़कियां, मगर बेटे  को किसी की नाक टेढ़ी लगती, तो किसी का क़द छोटा, कोई मोटी लगती, तो किसी का मुंह टेढ़ा। ऐसी ही और न  जाने कितनी उपाधियां दे डाली उसने लड़कियों को क्योंकि जनाब की निगाहें तो कुछ और ढूंढ रही थी। साहबज़ादे के  लिए शिक्षित से ज़्यादा ज़रूरी थी, सुंदर पत्नी।




दरअसल, हमारी फितरत ही ऐसी है कि हम दूसरों को लाख समझा लें कि दिखावे पर मत जाओ, पर जब ख़ुद की  बारी आती है, तो हम वही करते हैं, जो करने से दूसरों को मना करते आए हैं। बाहरी रंग-रूप और सुंदरता, शादी  करने के लिए लड़कियों में ये योग्यता पहले से बहुत मायने रखती हैं, मगर बदलते समय के साथ हमें ये  ग़लतफहमी होने लगी कि जब लड़कियां भी लड़कों से हर मामले में बराबरी पर हैं, तो शायद ये पुराना पैमाना टूट  जाए, मगर हम ग़लत थे. ऐसा कुछ नहीं हुआ...


वैसा शर्मा जी के बेटे को अपने लिए एक बेहद सुंदर मगर कम पढ़ी-लिखी पत्नी मिल ही गई। पत्नी की सुंदरता पर  मुग्ध शर्मा जी के बेटे शादी के बाद कुछ हफ्तों तक तो अपने कमरे से ही नहीं निकले, मगर कुछ ही महीनों बाद  स्थिति बिल्कुल विपरीत हो गई। अब वो अपने कमरे के अंदर कम ही दिखाई देते हैं। पत्नी सुंदर न हो, मगर  समझदार हो, तो पति की आंखों में सुदरता ख़ुद-ब-ख़ुद आ जाती है, लेकिन पत्नी बहुत सुंदर है, मगर समझदारी से  दूर-दराज़ तक उसका कोई रिश्ता नहीं है, तो पति की आंखों में बसी उसकी सुंदर छवि ख़राब होते देर नहीं लगती। वैसे यह बात भी सौ फीसदी सही है कि, कोई कितना भी ज्ञान बघार ले, लोग करेंगे वही जो उनका मन कहेगा, किसी की समझाइश ख़ासकर मुफ़्त की समझाइश बेअसर ही रहती है।


जहां तक शादी के रिश्ते के सवाल है, तो इस रिश्ते को निभाने के लिए पत्नी का सुंदर होना नहीं बल्कि समझदार/शिक्षित होना ज़्यादा मायने रखता है। जो इस सच को समझ जाते हैं, उनकी गृहस्थी की गाड़ी तो राजधानी  की स्पीड में बिना रोक-टोक के चलती रहती है और जो नहीं समझते उनके रिश्ते की हालत मालगाड़ी या पैसेंजर ट्रेन जैसी हो जाती है, तो अगर आप भी कहीं लड़की देखने जा रहे हैं, तो दिखावे पर जाने की बजाय अपनी अक्ल  लगाइएगा।

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